
क्या अर्थव्यवस्था दूसरी कोविड लहर से बच सकती है ? भारत में अच्छी आर्थिक वृद्धि दर के बावजूद स्वास्थ्य व्यवस्था वैश्विक मानकों के अनुरूप नहीं है -- कोविड-19 की दूसरी लहर ने इसे सिद्ध कर दिया। कोविड-19 के कुप्रभाव :-
1 अकाल मृत्यु।
2 बेरोजगारी।
3 दवाई, ऑक्सीजन की कमी।
4 कोर सेंटर में गिरावट।
5 मुद्रास्फीति तथा कालाबाजारी।
यदि भारतीय स्वास्थ्य सुविधा को देखें तो:-
– विश्व बैंक के द्वारा 2017 में स्वास्थ्य संबंधी डेटा के तहत 1 लाख लोगों पर 85.7 डॉक्टर, 53 बेड, 172.7 नर्स है जोकि बहुत कम है।
– 2015 की स्वास्थ्य नीति के अनुसार स्वास्थ्य पर जीडीपी का 2.5% खर्च का प्रावधान था लेकिन वर्तमान में जीडीपी का 1.5% खर्च किया जा रहा है।
– 70% स्वास्थ्य सुविधाएं निजी क्षेत्र की है जोकि अत्यंत महंगी है।
– 80% लोगों के पास कोई हेल्थ स्कीम नहीं।
– 70 मिलियन लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में है।
उपरोक्त स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति को देखते हुए भारत के लिए कोविड-19 की दूसरी लहर का सामना करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है लेकिन असंभव नहीं है।
– साधुवाद के ढांचे का सफल बनाते हुए एकीकृत स्वास्थ्य सुविधाएं तथा राष्ट्रीय टीकाकरण प्रोग्राम हो, ताकि भ्रम की स्थिति ना बने।
– स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे को मजबूत किया जाए तथा जीडीपी के 2.5% से अधिक खर्च की आवश्यकता।
– स्वास्थ्य को समभर्ती सूची का विषय (15वें वित्त आयोग के अनुसार) बनाया जाए।
– ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत स्तर पर करोना उचित व्यवहार का व्यापक प्रचार-प्रसार जागरूकता तथा आईसीयू जैसे सुविधाओं का विकास किया जाए।
– टीकाकरण प्रबंधन।
– नरसिंह क्षेत्र का विस्तार , नरसिंह शिक्षा निशुल्क विशेषकर ग्रामीण बालिकाओं को दी जाए।
निष्कर्ष: स्वास्थ्य क्षेत्र में युद्ध स्तर के विकास तथा टीकाकरण प्रबंधन से भारत कोविड-19 की दूसरी लहर को नियंत्रण कर सकेगा तथा तीसरी लहर को पूरी तरह से रोकने में अवश्य सफल होगा।

Written By:
Sunil Thakur
Master of Arts in Political Science
Himachal Pradesh University
Shimla
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